पशुपालकों के सवाल और ग्रोवेल के डॉक्टर का जबाब के इस भाग में पशु पोषण और पशुओं की बिमारियों से सम्बंधित पशुपालकों के सवालों का जबाब ग्रोवेल के डॉक्टर के द्वारा दी जा रही हैं। पशुपालक भाई ग्रोवेल के डॉक्टर द्वारा दी सलाह के अनुसार पशु पोषण करें और पशुओं को बीमारी से बचने का उपाय और चिकित्सा की ब्यवस्था करें । पशुओं की स्वस्थ की उचित देखभाल और पशुपोषण कर पशुपालक भाई एक सफल पशुपालक बन सकेंगे ।
प्रश्न: पशुओं को कितना आहार देना चाहिये ?
ग्रोवेल के डॉक्टर का जबाब : दूधारू पशुओं में क्षमता अनुसार दूध प्राप्त करने के लिए लगभग 40-50 कि.ग्रा. हरे चारे एवम 2.5 कि. दाने की प्रति किलोग्राम दूध उत्पादन पर आवश्यकता होती है।
प्रश्न: यदि हरा चारा पर्यापत मात्रा में उपलब्ध न हो तो क्या दाने की मात्रा बढाई जा सकती है ?
ग्रोवेल के डॉक्टर का जबाब : हाँ, यदि हरा चारा पर्यापत मात्रा में उपलब्ध न हो तो दाने की मात्रा बढाई जा सकती है।
प्रश्न: पशु आहार सम्बन्धित क्या पशु का आहार घर में बनाया जा सकता है ?
ग्रोवेल के डॉक्टर का जबाब : हाँ, घर पर दाना मिश्रण बनाने के लिए निम्न छटकों की आवश्यकता होती है:- (क) खली = 25-35 किलो (ख) दाना(मक्का, जौई , गेहूं आदि) = 25-35 किलो (ग) चोकर = 10-25 किलो (घ) दालों के छिलके = 05-20 किलो (ङ) खाने के बाद प्रतिदिन ग्रोवेल का ग्रोविट पॉवर (Growvit Power) २० मिली . सुबह २० मिली शाम ,पशु के मुहँ में प्रति पशु देना चाहिये ।
प्रश्न: पशुओं के लिए रोज़ घर में दाना मिश्रण बनाने की कोई सामान्य विधि बताएं ?
ग्रोवेल के डॉक्टर का जबाब : दाना मिश्रण बनाने की घरेलू विधि इस प्रकार है:- 10 किलो दाना मिश्रण बनाने के लिये: अनाज, चोकर और खली की बराबर मात्रा (3. 3 किलो ग्राम प्रति) डाल दें। इस मिश्रण में 500 ग्राम चिलेटेड ग्रोमिन फोर्ट ( Chelated Growmin Forte) डालें। दाना बनाने के लिए पहले गेहूं, मक्का आदि को अच्छी दरड़ लें। और खली को कूट लें। यदि खली को कूट नहीं सकते तों एक दिन पहले खली को किसी बर्तन में डालकर पानी में भिगो लें। अगले दिन उसमें बाकि अव्यवों को (दाना,चोकर,नमक,खनिज मिश्रण) इस में मिलाकर हाथ से मसल दें। इस दाने को कुतरे हुए चारे/घास में मिलाकर पशु को खिला सकते हैं।
प्रश्न: दुधारू पशुओं को संतुलित आहर कितनी मात्रा में और कब दिया जाए ? इस विषय पर जानकारी दें।
ग्रोवेल के डॉक्टर का जबाब : दुधारू पशुओं को आहार उनकी दूध आवश्यकता के अनुसार ही दिया जाना चाहिए। पशुओं का आहार संतुलित होगा जब उसमें अमीनो पॉवर ( Amino Power ) मिला कर दें । देसी गाय को प्रति 2.5 किलो दूध उत्पादन पर आमतौर से 1 किलो अतिरिक्त्त दाना-मिश्रण देना होता है। यह आहार निर्वाह ( शरीर को बनाए रखने के लिए) के अतिरिक्त होना चाहिए। उदाहरण के लिए:- गाय का वज़न = 250 कि. ग्रा (लगभग) दूध उत्पादन = 4 किलो प्रति दिन दी जाने वाली खुराक = भूस/प्राल ४ कि. दाना मिश्रण = 2.85 कि.(1.25 कि. शरीर के निर्वाह के लिए और 1.6 किलो दूध लें)
प्रश्न: पशु आहार सम्बन्धित गाभिन गाय के लिए कितना आहार आवश्यक है ?
ग्रोवेल के डॉक्टर का जबाब : गाय का वज़न = 250 कि. ग्रा (लगभग) (क) भूसा = 4 किलो (ख) दाना मिश्रण= 2.5 किलो (1.25 कि.शरीर के निर्वाह के लिये और 1.5 किलो अन्दर बन रहे बच्चे के लिये)
प्रश्न: पशुओं के आहार व पानी की दिनचर्या कैसी होनी चहिये ?
ग्रोवेल के डॉक्टर का जबाब : क) चारा बांट कर दिन में 3-4 बार खिलना चहिये। (ख) दाना मिश्रण भी 2 बार बराबर- बराबर खिलाना चहिये। (ग) हरा और सूखा चारा (भूसा और घास) मिश्रित कर खिलाना चाहिये। (घ) घास की कमी के दिनों साइलेज उपलब्ध कराना चाहिये। (ङ) दाना, चारे के उपरांत खिलाना चाहीये। (च) प्रतिदिन औसतन गाय को 35-40 लीटर पानी कि आवश्यकता होती है।
प्रश्न: नवजात बछड़ों का पोषण कैसे करें ?
ग्रोवेल के डॉक्टर का जबाब : अच्छा पोषण ही बछड़ों- बछड़ियों को दूध / काम के लिये सक्षम बनाता है। नवजात बछड़ों के लिये कोलोस्ट्रल (खीस) का बहुत महत्व है। इस से बिमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है। और बछड़े- बछड़ियों का उचित विकास होता है। इसके लिए बछड़ों- बछड़ियों को को नियामित रूप से ग्रोवेल का अमीनो पॉवर (Amino Power) दें ।
प्रश्न: बछड़ों- बछड़ियों को खीस कितना और कैसे पिलाना चाहिये ?
ग्रोवेल के डॉक्टर का जबाब : सबसे ध्यान देने योग्य बात है कि पैदा होने के बाद जितना जल्दी हो सके खीस पिलाना चाहिये। इसे गुनगुना (कोसा) कर के बछड़े के भार का 10 वां हिस्सा वज़न खीस कि मात्रा 24 घंटों में पिलाएं। जन्म के 24 घंटों के बाद बछड़े की आंतों की प्रतिरोधी तत्व (इम्यूनोग्लोब्यूलिन) को सीखने की क्षमता कम हो जाती है। और तीसरे दिन के बाद तों लगभग समाप्त हो जाती है। इसलिए बछडों को खीस पिलाना आवश्यक है।
प्रश्न: बछड़ों- बछड़ियों को खीस के इलावा और क्या खुराक देनी चाहिये ?
ग्रोवेल के डॉक्टर का जबाब : पहले तीन हफ्ते बछडों को उनके शरीर का दसवां भाग दूध पिलाना चाहिये। चौथे और पांचवे हफ्ते शरीर के कुल भाग का 1/15 वां भाग दूध पिलाएं। इसके बाद 2 महीने की उम्र तक 1/20 वां भाग दूध दें। इसके साथ-साथ शुरुआती दाना यानि काफ स्टार्टर और उस के साथ अच्छी किस्म का चारा देना चाहिये।
प्रश्न: मिल्क फीवर या सूतक बुखार क्या होता है ?
ग्रोवेल के डॉक्टर का जबाब : ये एक रोग है जो अक्सर ज्यादा दूध देने वाले पशुओं को ब्याने के कुछ घंटे या दिनों बाद होता है। रोग का कारण पशु के शरीर में कैल्शियम की कमी। सामान्यतः ये रोग गायों में 5-10 वर्ष कि उम्र में अधिक होता है। आम तौर पर पहली ब्यांत में ये रोग नहीं होता। इसके उपचार की लिए ग्रोवेल का ग्रो-कैल डी3 (Grow-Cal D 3 ) दें ।
प्रश्न: मिल्क फीवर को कैसे पहचान सकते है ?
ग्रोवेल के डॉक्टर का जबाब : इस रोग के लक्षण ब्याने के 1-3 दिन तक प्रकट होते है। पशु को बेचैनी रहती है। मांसपेशियों में कमजोरी आ जाने के कारण पशु चल फिर नही सकता पिछले पैरों में अकड़न और आंशिक लकवा की स्थिती में पशु गिर जाता है। उस के बाद गर्दन को एक तरफ पीछे की ओर मोड़ कर बैठा रहता है। शरीर का तापमान कम हो जाता है।
प्रश्न: खूनी पेशाब या हीमोग्लोबिन्यूरिया रोग क्यों होता है ?
ग्रोवेल के डॉक्टर का जबाब : ये रोग गायों-भैसों में ब्याने के 2-4 सप्ताह के अंदर ज्यादा होता है ओर गर्भवस्था के आखरी दोनों में भी हो सकता है। भैसों में ये रोग अधिक होता है। ओर इसे आम भाषा में लहू मूतना भी कहते है। ये रोग शरीर में फास्फोरस तत्व की कमी से होता है। जिस क्षेत्र कि मिट्टी में इस तत्व कि कमी होती है वहाँ चारे में भी ये तत्व कम पाया जाता है। अतः पशु के शरीर में भी ये कमी आ जाती है। फस्फोरस की कमी उन पशुओं में अधिक होती है जिनको केवल सूखी घास, सूखा चारा या पुराल खिला कर पाला जाता है
प्रश्न: खुर-मुँह रोग(मुँह-खुर रोग?कि रोक थम कैसे कर सकते है ?
ग्रोवेल के डॉक्टर का जबाब : इस बीमारी की रोकथाम हेतु, पशुओं को निरोधक टीका अवश्य लगाना चाहिये। ये टीका नवजात पशुओं में तीन सप्ताह की उम्र में पहला टीका, तीन मास की उम्र में दूसरा टीका और उस के बाद हर छः महीने में टीका लगाते रहना चाहिये।
प्रश्न: गल घोंटू रोग के क्या लक्षण है ?
ग्रोवेल के डॉक्टर का जबाब : तेज़ बुखार, लाल आँखें , गले में गर्म/दर्द वाली सूजन गले से छाती तक होना, नाक से लाल/।झागदार स्त्राव का होना।
प्रश्न: पशुओं की संक्रामक बीमारियों से रक्षा किस प्रकार की जा सकती है ?
ग्रोवेल के डॉक्टर का जबाब : (क) पशुओं को समय-समय पर चिकित्सक के परामर्श के अनुसार बचाव के टीके लगवा लेने चहिये। (ख) रोगी पशु को स्वस्थ पशु से तुरन्त अलग कर दें व उस पर निगरानी रखें। (ग) रोगी पशु का गोबर , मूत्र व जेर को किसी गढ़ढ़े में दबा कर उस पर चूना डाल दें। (घ) मरे पशु को जला दें या कहीं दूर 6-8 फुट गढ़ढ़े में दबा कर उस पर चूना डाल दें। (ड़) पशुशाला के मुख्य द्वार पर ‘फुट बाथ’ बनवाएं ताकि खुरों द्वारा लाए गए कीटाणु उसमें नष्ट हो जाएँ। (च) पशुशाला की सफाई नियमित तौर पर विराक्लीन ( Viraclean ) से करें।पशुशाला को विषाणुरहित रखने के लिये ,पशुशाला में नियमित रूप से विराक्लीन ( Viraclean ) का छिड़काव करनी चाहिए ।
प्रश्न: सर्दियों में बछड़े- बछड़ियों को होने वाली प्रमुख बीमारियों के नाम बताएं।
ग्रोवेल के डॉक्टर का जबाब : क) नाभि का सड़ना (ख) सफेद दस्त। (ग) न्यूमोनिया (घ) पेट के कीड़े (ड़) पैराटाईफाइड़
प्रश्न: पशुशाला की धुलाई सफाई के लिये क्या परामर्श है ?
ग्रोवेल के डॉक्टर का जबाब : पशुशाला को हर रोज़ पानी से झाड़ू द्वारा साफ़ कर देना चाहिये। इस से गोबर व मूत्र की गंदगी दूर हो जाती है। पानी से धोने के बाद एक बाल्टी पानी में 5ग्राम लाल दवाई (पोटाशियम पर्मंग्नते) या 50 मिली लीटर फिनाईल डाल कर धोना चाहिये । इस से जीवाणु ,जूं, किलनी तथा विषाणु इत्यादि मर जाते हैं, पशुओं की बीमारियां नहीं फैलती और स्वच्छ दूध उत्पादन में मदद मिलती है।पशुशाला को विषाणुरहित रखने के लिये ,पशुशाला में नियमित रूप से विराक्लीन ( Viraclean ) का छिड़काव करनी चाहिए ।
प्रश्न: संकर पशुओं से कितनी बार दूध निकालना चाहिए ?
ग्रोवेल के डॉक्टर का जबाब : अधिक दूध देने वाले संकर पशुओं से दिन में तीन बार दूध निकालना चाहिये और दूध निकालने के समय में बराबर का अंतर होना चाहिये। अगर पशु कम दूध देता है तो दो बार (सुबह और शाम को) दूध निकालना उचित है, लेकिन इसके बीच भी बराबर समय होना चाहिये। इस से दूध का उत्पादन बढ़ जाता है और निशचिंत समय पर पशु स्वयं दूध निकलवाने के लिए तैयार हो जाता है।
प्रश्न: दुधारू पशुओं को सुखाने का परामर्श डाक्टर क्यों देते है ?
ग्रोवेल के डॉक्टर का जबाब : ग्याभिन अवस्था में पशु और बच्चे दोनों को अधिक खुराक कि आवश्यकता होती है। अतः ब्याने से तीन माह पहले पशु का दूध निकालना बंद कर देना चाहिये, ताकि आगे ब्यांत में भी भरपूर दूध मिल सके।
प्रश्न: ग्याभिन पशु की पहचान कैसे की जा सकती है ?
ग्रोवेल के डॉक्टर का जबाब : (क) ग्याभिन होने पर पशु दोबारा २०-२१ दिन गर्मी नही आती। (ख) तीन चार मास में पशु का पेट फूला नज़र आने लगता है। (ग) पशु कि गुदां में हाथ डाल कर बच्चेदानी का दो में से एक हॉर्न का बढ़ा होना महसूस किया जा सकता है। लेकि यह परीक्षण केवल प्राशिक्षित व अनुभवी पशु चिकित्सक से ही करवाना चाहिये।
प्रश्न: बछड़े- बछड़ियों में नाभि का सड़ना क्या होता है ? इसकी रोकथाम के उपाय बताएं |
ग्रोवेल के डॉक्टर का जबाब : इसे अंग्रेजी में’” नेवल इल “ कहते हैं। नवजात बछड़ों में सफाई की कमी से नाभि में पीप (मवाद) पड़ जाती है। नाभि चिपचिपी दिखाई देती है और उस में सूजन व पीड़ा हो जाती है। बछड़ा सुस्त हो जाता है और जोड़ों के सूजने से लंगडाने लगता है। इसकी रोक थाम के लिये नाभि को किसी कीट नाशक से साफ़ करके टिंक्चर आयोडीन तब तक लगाएं जब तक नाभि सूख न जाए। रोक थाम के लिये नाभि को किसी कीट नाशक से साफ़ करके टिंक्चर आयोडीन तब तक लगाएं जब तक नाभि सूख न जाए।
प्रश्न: बछड़े- बछड़ियों में सफेद दस्त क्यों होती है ?
ग्रोवेल के डॉक्टर का जबाब : अंग्रजी में “ व्हाइट सकाऊर “ नामक यह प्राणघातक रोग है जोकि 24 घण्टे में ही बछड़े की मृत्यु का कारण बन सकता है। इसमें बुखार आता है , भूख कम लगती है और बदहज़मी हो जाती है। पतले दस्त होते हैं जिस से बदबू आती है। इस से खून भी आ सकता है। इससे बचाव के लिये बछडों को प्रयाप्त खीस पिलाएं। दस्त होने पर ग्रोवेल का निओक्सीविटा फोर्ट (Neoxyvita Forte ) और साथ में एलेक्ट्रल एनर्जी ( Electral Energy ) दें।
प्रश्न: बछड़े- बछड़ियों में होने वाले न्यूमोनिया रोग पर प्रकाश डालें।
ग्रोवेल के डॉक्टर का जबाब : यह रोग गन्दे व सीलन वाले स्थानों में रहने वाले पशुओं में अधिक फैलता है। यह रोग 3-4 मास के बछड़ों में सबसे अधिक होता है। इस रोग के लक्षण है – नाक व आंख से पानी बहना,सुस्ती, बुखार,साँस लेने में दिक्कत, खांसी व अंत में मृत्यु। इस घातक रोग से बचाव के लिये पशुओं को साफ़ व हवाद बाड़ों में रखें। और अचानक मौसम/तापमान परिवर्तन से बचाएं। पशुशाला को विषाणुरहित रखने के लिये ,पशुशाला में नियमित रूप से विराक्लीन ( Viraclean ) का छिड़काव करनी चाहिए ।
प्रश्न: बछड़े- बछड़ियों को पेट के कीड़ों से कैसे बचाया जा सकता है ?
ग्रोवेल के डॉक्टर का जबाब : दूध पीने वाले बछड़ों के पेट में आमतौर पर लम्बे गोल कीड़े हो जाते हैं। इससे पशु सुस्त हो जाता है, खाने में अरुचि हो जाती है और आँखों की झिल्ली छोटी हो जाती है। इस से बचने के लिये बछड़ों को साफ़ पानी पिलाएं, स्वस्थ बछड़ों को अलग रखें क्योंकि रोगी बछड़ों के गोबर में कीड़ों के अण्डे होते है। कीड़े से बचाव के लिए ग्रोवेल का ग्रोलिव फोर्ट (Growlive Forte) दें और साथ में निओक्सीविटा फोर्ट (Neoxyvita Forte ) दें ,तुरंत लाभ होगा।
प्रश्न: बछड़े- बछड़ियों में पैराटाईफाइड़ रोग के बारे में जानकारी दें।
ग्रोवेल के डॉक्टर का जबाब : यह रोग दो सप्ताह से 3 महीने के बछड़ों में होता है। यह रोग गंदगी और भीड़ वाली गौशालाओं में अधिक होता है। इस के मुख्य लक्षण – तेज़ बुखार, खाने में अरुचि, थंथन का सूखना, सुस्ती। गोबर का रंग पीला या गन्दला हो जाता है व बदबू आती है। रोग होते ही पशु चिकित्सक से संपर्क करें।
प्रश्न: बछड़ों में पेट के कीड़ों (एस्केरियासिस) से कैसे बचा जा सकता है ?
ग्रोवेल के डॉक्टर का जबाब : इस रोग की वजह से बछड़े को सुस्ती, खाने में अरुचि, दस्त हो जाते हैं। व इस रोग की आशंका होते ही तुरन्त पशु चिकित्सक से संपर्क करें।
प्रश्न: पशुओं में अफारा रोग के क्या-क्या कारण हो सकते है ?
ग्रोवेल के डॉक्टर का जबाब : क) पशुओं को खाने में फलीदार हरा चारा, गाजर, मूली,बन्द गोभी अधिक देना विशेषकर जब वह गले सड़े हों। (ख) बरसीम, ब्यूसॉन , जेई, व रसदार हरे चारे जो पूरी तरह पके न हों व मिले हों। (ग) भोजन में अचानक परिवर्तन कर देने से। (घ) भोजन नाली में कीड़ों, बाल के गोले आदि से रुकावट होना। (ड़) पशु में तपेदिक रोग का होना। (च) पशु को चारा खिलाने के तुरन्त बाद पेट भर पानी पिलाने से।
प्रश्न: पशुओं में अफारा रोग के क्या-क्या लक्षण है ?
ग्रोवेल के डॉक्टर का जबाब : (क) अफारा रोग के लक्षणभुत स्पष्ट होते हैं। बाईं ओर की कील फूल जाती है और पेट के आकार बढा हुआ दिखाई देता है। (ख) पेट दर्द और बेचैनी के कारण पशु भूमि पर पैर मारता है और बार-बार डकार लेता है। (ग) रयुमन का गैसों से अधिक फूल जाने के कारण छाती पर दबाव बढ़ जाता है जिस से साँस लेने में तकलीफ होती है। (घ) पशु खाना बन्द कर देता है और जुगाली नहीं करता। (ड़) यह समस्या भेड़ों में अधिक गंभीर होती है और अधिक अफारा होने पर उन की मृत्यु हो जाती है।
प्रश्न: पशुओं में अफारा रोग हो जाने पर ईलाज का प्रबंध कैसे करें ?
ग्रोवेल के डॉक्टर का जबाब : अफारा होने पर इलाज में थोड़ी देरी भी जान लेवा हो सकती है। अफारा होने पर निम्नलिखित उपाय करे जा सकते है:- (क) रोगी का खाना तुरन्त बन्द कर दें। (ख) तुरन्त डाक्टर से संपर्क करें। ध्यान रहें की दवाई देते समय पशु की जुबान न पकडें। (ग) जहां तक हो सके पशु को बैठने न दें व धीरे-धीरे टहलाएं। इससे अफारे में आराम मिलेगा। (घ) पशु को साफ व समतल जगह पर रखें। (ङ) अफारा का इलाज बहुत सरल है,पशु को ग्रोलिव फोर्ट ( Growlive Forte ) दें। (च) अफारा उतर जाने पर तुरन्त खाने को नही देना चाहिये जब तक पेट अच्छे से साफ़ न हो जाए।
प्रश्न: पशुओं में अफारा रोग से कैसे बचाव करना चाहिये ?
ग्रोवेल के डॉक्टर का जबाब : (क) पशुओं को चारा डालने से पहले ही पानी पिलाना चाहिये। (ख) भोजन में अचानक परिवर्तन नहीं करना चाहिये। (ग) गेहूं, मकाई या दूसरे अनाज अधिक मात्रा में खाने को नहीं देने चाहिये। (घ) हर चारा पूरी तरह पकने पर ही पशुओं को खाने देना चाहिये। (ड़) पशुओं को प्रतिदिन कुछ समय के लिये खुला छोड़ना चाहिये।पशु को ग्रोलिव फोर्ट ( Growlive Forte ) दें , फायदा होगा ।
प्रश्न: पशुओं में लंगड़ा बुखार कब और कहाँ होता है ?
ग्रोवेल के डॉक्टर का जबाब : यह रोग बरसात शुरू होते ही फैलने लगता है। गर्म और आद्र क्षेत्रों में यह रोग आमतौर पर होता है।जिस जगह यह रोग एक बार हो जाए वहाँ ये प्रायः हर वर्ष होता है। इस रोग का हमला एक साथ बहुत से पशुओं पर तो नहीं होता पर जो पशु इस की चपेट में आ जाए वो बच नहीं पाता। इस रोग को “ब्लैक क्वार्टर”, “ब्लैक लैग” व पुठटे की सूजन का रोग भी कहते हैं।
प्रश्न: लंगड़ा बुखार होने का क्या कारण है ?
ग्रोवेल के डॉक्टर का जबाब : यह रोग गौ जाति के पशुओं में क्लोस्ट्रीड़ियम सैप्टिकनामक कीटाणु से होता है। ये कीटाणु पशु के रक्त में नही बल्कि रोगी की माँस-पेशियों व मिट्टी तथा खाने-पीने की वस्तुओं में पाया जाता है।
प्रश्न: पशुओं में लंगड़ा रोग के लक्षण बताएं ?
ग्रोवेल के डॉक्टर का जबाब : पशुओं में लंगड़ा रोग के निम्नलिखित लक्षण है:- (क) पशु पिछली टांगों से लड़खड़ता है व कांपता है। (ख) पुठठों में सूजन आ जाती है। (ग) शरीर के अधिक मास वाले भाग (गर्दन,कंधे,पीठ,छाती आदि) में भी सूजन हो सकती है। (घ) सूजे हुए भाग पहले सख्त , पीड़ादायक व गर्म होते हैं। इन में एक प्रकार की गैस पैदा हो जाति है। रोग के लक्षण प्रकट होने के 48 घण्टे में रोगी की मृत्यु हो जाती है।
प्रश्न: पशुओं में लंगड़ा रोग का इलाज कैसे करना चाहिये ?
ग्रोवेल के डॉक्टर का जबाब : एंटीबायोटिक दवा और टीका लाभकारी होता है। लेकिन ये टीका आरम्भ में ही लाभदायक होते हैं।
प्रश्न: पशुओं को लंगड़ा रोग से कैसे बचाएं ?
ग्रोवेल के डॉक्टर का जबाब : जिस क्षेत्र में यह रोग होता है वहाँ के पशुपालक अपने 4 मास से 3 वर्ष के सभी गौ जाति के पशुओं को इस रोग के बचाव का टीका अवश्य लगवाएँ। इस टीके का असर 6 माह तक रहता है। मई में यह टीका अवश्य लगवा लेना चाहिये। भेड़ों में उन कतरने या बच्चा देने से पहले यह टिका लगवा लेने चाहिये।
प्रश्न: पशुओं में लंगड़ा रोग फैलने पर क्या करना चाहिये ?
ग्रोवेल के डॉक्टर का जबाब : (क) पशु चकित्सक से तुरन्त संपर्क कर के बचाव टीका (वैक्सीन) पशुओं को लगवा लेना चाहिये। (ख) रोग कि छूत फैलने से रोकने के लिये मरे पशुओं व भूमि में 2-2.5 मीटर की गहरई तक चूने से ढक कर दबा देना चाहिये। (ग) जिस पशुघर में किसी पशु की मृत्यु हुई हो उसे विराक्लीन ( Viraclean ) मिले पानी से धोने चाहिये। फर्श पर और पशुशाला में विराक्लीन ( Viraclean ) का छिड़काव करें ।
प्रश्न: पशुओं में लंगड़ा रोग की छूत कैसे लगती है ?
ग्रोवेल के डॉक्टर का जबाब : गौ जाति के पशुओं में इस रोग कि छूत खाने-पीने की वस्तुओं द्वारा फैलती हैं। भेड़ों में यह रोग ऊन उतारने , पूछँ काटने और नपुँसक करने के पश्चात ही होता है।
कृप्या आप इस लेख को भी पढ़ें पशुपालकों के सवाल और ग्रोवेल के डॉक्टर का जबाब – भाग २
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Indication & Benefits :
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For Cattle
Cows & Buffalo: 40-50 ml daily.
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Indication & Benefits :
Dosage :
For Cattle:
Cow, Buffalo & Horse : 30-50 ml each animal per day.
Calves : 20-30 ml each animal per day.
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Should be given daily for 7 to 10 days, every month or as recommended by veterinarian.
Packaging : 500 m.l., 1 ltr. & 5 ltr. |
Hello sir namaste mera गाय jab khati h to bomating Kar degi h Lagta h gle me Kuch problem h kya so aapse reguest h ki uska upchar btaye please sir 15 din ho gya h sir thik nhi hua h doctor ke anusar dabai bhi dete h phir bhi thik nhi hota
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Sir hamari gaaye 2 din se chaara nahi kha rhi hai aur uth bhi nahi rhi hai 7 months pregnant hai
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कृपया आप निम्नलिखित लेख को भी पढ़ें.
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Mri gay heat me nhi aati ky kre sir
नन्दलाल यादव जी ,
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Sir meri bakri ko andhapan ho gaya hai kya kare
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मेरी गायhf दिन प्रति दिन दूध कम करती जारही है और गभिन भी नहीं है कोइ दवा बतऐ
आप उसे ग्रोलिव फोर्ट (Growlive Forte ) और ग्रोवेल मिल्क बुस्टर ( Growel Milk Booster ) महीने में दस से पंद्रह दिनों तक दें बिलकुल ठीक हो जायेगा ,दवा की जानकारी इस लिंक पर उपलब्ध है http://www.growelagrovet.com/veterinary-products/
सर मेरी गाय दूध लगाने नहीं देती लात मारती है कृपा कर लगाने के उपाय बताये
आप उसे ग्रोलिव फोर्ट (Growlive Forte ) और ग्रोवेल मिल्क बुस्टर ( Growel Milk Booster ) महीने में दस से पंद्रह दिनों तक दें बिलकुल ठीक हो जायेगा ,दवा की जानकारी इस लिंक पर उपलब्ध है http://www.growelagrovet.com/veterinary-products/
Meri gay Ko sara ho gaya hai. Kana kha na chhored diya hai upay bata ye.
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गाय को पतला दस्त से छुटकारा पाने का उपाय
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धन्यवाद् !
sir hamari bhais ka ek than achanak se kam ho gaya hai uske liye kya kare bhais ko baccha jane sirf 3 din ho gaye hai sab than 3din acchese chal te the aisa achanak huaa hai than mese 2 se 3 dhari dhudh aa raha hai upai bataye
आप उसे ग्रोलिव फोर्ट (Growlive Forte ) और ग्रोवेल मिल्क बुस्टर ( Growel Milk Booster ) महीने में दस से पंद्रह दिनों तक दें बिलकुल ठीक हो जायेगा ,दवा की जानकारी इस लिंक पर उपलब्ध है http://www.growelagrovet.com/veterinary-products/
हमारी गाय को बझडा दिये 2 दिन होगया अौर वह दुध नही दे रही है
मनोज ,आप ग्रोवेल का मिल्क बुस्टर और एमिनो पॉवर दो ,दवा की जानकारी निम्नांकित लिंक पर मिल जाएगी .
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Sir नमस्कार भैस का शरीर बाहर आ रहा है तथा पैसाब व गौबर करते वक्त जोर कर रही है शरीर बाहर आने से कैसे रोके प्लीज उपाय बताये
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लाभकारी पशुपालन और मुर्गीपालन कैसे करें?
हेलो सर, में एक पशु पालक ही मेने गायों की डेयरी की हुई ह हमारे यहाँ 14 से 15 Holstein Friesian गाय ह जी मेरा सवाल ये ह इन गाय में से कुछ गाय ऐसी ह जो खाना खाने के बाद मिट्टी खाती ह और कुछ गायों का रंग black से brown हो रहा ह कृपया करके कोई इलाज़ बताए?
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लाभकारी पशुपालन और मुर्गीपालन कैसे करें?
हमारी गाय दूध देते देते ही दूध रोक देती है क्या करे
Please use Milk Booster of Growel Agrovet,the details of the products is given at the following link.
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